वेद शब्द की निष्पत्ति


                                         

वेद -

 वेद शब्द की निष्पत्ति विद् धातु घञ् प्रत्यय से हुई है ।

 विद धातु यहां पर 3 अर्थो में है । विद् - सत्तायाम्, विद् - ज्ञाने, विद् - विचारणे, विद् - लाभे । 

वेद के विषय में अनेक मत हैं । कुछ के अनुसार वेद ईश्वर से प्राप्त ज्ञान है, जो मनुष्य को सृष्टि उत्त्पति से ही प्राप्त है । 

इस विषय में सायणाचार्य जी कहते हैं - अपौरुषेय वाक्यं वेदः  

इष्टप्राप्त्यानिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायम यो ग्रन्थः वेदयति सः वेदः  

अर्थात् - वेदो को किसी पुरुष ने नहीं रचा है । 

ऋषि आपस्तम्ब  के मत में - मन्त्रब्राह्मणयोर्वेदनामधेयम्  

अर्थात् - मन्त्र और ब्राह्मण ग्रन्थों के लिये वेद शब्द प्रयुक्त हुआ है । 

वेद ज्ञान का सागर है ।  

वेद ज्ञान के स्रोत हैं ।

उदाहरण - सागर जल से भरा है । उसमें कई जीव रहते हैं ।

 

 

विज्ञान - 

 

विज्ञान शब्द की निष्पत्ति विशिष्ट ज्ञानं यत्, वि उपसर्ग + ज्ञा धातु + ल्युट प्रत्यय । 

ज्ञा धातु के कई अर्थ हैं -

करण अर्थे - ज्ञायते अनेन इति 

भाव अर्थे -  ज्ञायते इति ।

अधिकरण अर्थे - ज्ञायते अस्मिन् ।   -  ज्ञा धातु ‘जानने’ अर्थ में होती है ।

वि उपसर्ग का अर्थ है विशिष्ट । अतः विज्ञान का विशिष्ट ज्ञान का अर्थ है किसी विषय  में अधिक या अच्छी तरह से ज्ञान प्राप्त करना । 

विज्ञान वेद रूपी सागर की एक बूंद है । 

विज्ञान वेद की लघुत्तम ईकाइ है ।  

उदाहरण के लिये जल में मछली रहती है । यह एक विज्ञान है । जो जलीय जीवों की एक ईकाई मात्र है । 

 

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