प्रातः कर दर्शनं मन्त्र

         प्रातः कर दर्शनं मन्त्र 

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती । 
करमुले तू गोविन्दं प्रभाते कर दर्शनम् ॥

 अर्थात - मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है । मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग मे भगवान विष्णु का निवास है । अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूं ।

इस श्लोक मे धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालन हार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है, ताकि जीवन में धन विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके ।


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